हमारे जीवन में क्यू इतने सारा दुःख होते है? जिंदगी बदल देने वाली स्टोरी।Hindi Story 2023
हम सब के जिंदगी में दुःख आना स्वाभाविक बात है।जब हमे दुख परता है।तब हम पहले के अवस्था में नहीं रह करके हम चिंतित अवस्था में रहते है।और ये अवस्था में हमारे दिमाग में अनेक सवाल उठता है।मुझे ही क्यू ऐसा दुख आता है?वास्तव में दुख का मूल कारण क्या है? क्यू होता है हमारे जिंदगी में दुख? क्यू आता है दुख का दिन?हमारे जीवन में ये दुख कहने वाले दिन क्यू आते है?दोस्तो हम लोग आज इस स्टोरी में हमारे जिंदगी के मूल दुख का कारण क्या है?समझेंगे।स्टोरी को ध्यान लगाके पूरा पढ़ना तभी आप इसका वास्ताबिक अर्थ समझ पाएंगे। आइए स्टोरी सुरु करते है।
हमारे जीवन में क्यू इतने सारा दुःख होते है? जिंदगी बदल देने वाली स्टोरी।Hindi Story 2023
एक समय की बात है। एक व्यक्ति भगवान बुद्ध के पास जाता है।और बुद्ध को परणाम करता है।उसके बाद वो व्यक्ति बुद्ध को कहता है।
व्यक्ति: गुरु हमारे जीवन के
वास्ताबिक दुख के कारण क्या है?
हम ये जानना चाहते है।जीवन में कितना दुख आते है,कितना सुख भी आते है।लेकिन दुख कभी कभी हम नही चाहते है फिर भी आ जाता है,क्यू
ऐसा होता है?हमारे जीवन के दुख का मूल कारण क्या है गुरु?कृपा करके बताइए।
तब बुद्ध वो व्यक्ति के तर्फ देखते हुए मुस्कुरा के कहने लगे...
बुद्ध: हमारे जीवन के दुख का मूल कारण सुख है।
ये बात सुनते ही वो व्यक्ति एक दम हैरत में पड़ गया।और बुद्ध को कहने लगा।
व्यक्ति: अरे गुरु आप क्या कह रहे है?सुख के लिए तो हम जीते है।जीवन में सुख ही नहीं रहेगा,जिधर देखो उधर दुख ही दुख होगा तो मानव के जीने का आश भी मर जायेगा।वो व्यक्ति फिर बोला,यदि सुख ही दुख का मूल कारण है तो हमे जिनेका क्या मतलब?
तब फिर बुद्ध वो व्यक्ति को कहते है।
बुद्ध: हम सब ज्यादा से ज्यादा आदमी बिना कारण ही जी रहे होते है।हम कोई चीज में सुख देखे हो ते है। एक उदहारण द्वारा समझो।कोई व्यक्ति स्वाद के साथ जुड़ा है,कोई व्यक्ति नशा करके खुशी प्राप्त करता है,कोई व्यक्ति शारीरिक सुख से खुशी प्राप्त करता है, कोई पैसा द्वारा खुशी प्राप्त करता है।लेकिन ये सब सुख क्षेणिक होते है।ये क्षेणिक होनेका मतलब ये नही है की ये तुम्हे दुख देंगे।लेकिन ये खुस के पीछे तुहारा अनेक विश्वास होते है।
और वो विश्वास सदा एक नास नही रहते है।ये विश्वास तो कोई न कोई अवस्था में टूट ही जाता है।तुम्हे मै और क्लियर रूप से समझने के लिए एक उदहारण देता हु। क्या तुम्हारा कोई पुत्र है?संतान है?
और फिर वो व्यक्ति बोला..
व्यक्ति: है ना, गुरु मेरा ६ सालका बेटा है।
फिर बुद्ध बोले...
हमारे जीवन में क्यू इतने सारा दुःख होते है? जिंदगी बदल देने वाली स्टोरी।Hindi Story 2023
बुद्ध: तुम्हारे वो ६ साल का बालक अगर मर जाए तो तुम क्या करोगे?तुमको कैसा लगेगा?
बुद्ध के ये बात सुनते हाई व्यक्ति को थोड़ा रिस लगा और कहने लगा...।
व्यक्ति: बुद्ध आप ये क्या कह रहे है?मैं तो ये बात सोच भी नही सकता,आप ऐसा बात कर रहे हो?मैं तो ये बात सोच भी नही सकता गुरु।
तब फिर वो व्यक्ति को बुद्ध कहने लगे...।
बुद्ध: ठीक है,मृत्यु कहने का मतलब एक सत्स्वत बात है, एक सत्य वचन है।लेकिन तुम इसे सुनने के लिए भी स्वीकार ते नही हो।जब मैं तुम्हे मृत्यु के बात कह रहा था तो तुम थोड़ा क्रोधित दिख रहे थे।
और वो व्यक्ति बुद्ध को कहने लगा....।
व्यक्ति: तो फिर क्या मैं मेरा बेटा मरने के बात में भी चिंतित नहीं होने पाऊं।
तो फिर बुद्ध कहने लगे...।
हमारे जीवन में क्यू इतने सारा दुःख होते है? जिंदगी बदल देने वाली स्टोरी।Hindi Story 2023
बुद्ध: मेरा कहानेका मतलब ये नही है।तुम वो बात में चिंतित नहीं होना मैं नही कह रहा हु।तुम पिता हो,अपने संतान मरेगा तो जिसको भी चिंता होगा,जिसको भी दुख होगा।लेकिन मैं तो तुम्हे ये कहना चाहता हु की तो बास्ताबिकता को स्वीकार करना परेगा।मैं जब तुम्हे इस से पहिले कह रहा था तो तुम इस बात को भी स्वीकार नहीं कर पाए।मैं सोच भी नही सकता बोले थे तुम।ठीक,हमारा दुख का मूल कारण यही है की हम वास्तबिक को स्वीकारना नही चाहते है हम।हम लोग जीवन में अनेक तरीका से सुख प्राप्त करते है।लेकिन हम लोग वो सुख प्राप्त करते समय निश्चित रूप में आने वाले दुख को हम स्वीकार नहीं करते।हमारे जीवन के दुख का मूल कारण ही यही है।तुम्हार प्रश्न के उत्तर यही है।की हम लोग सुख भोग करते समय, आनेवाली निश्चित दुख को हम स्वीकार नहीं करते।
तब फिर बुद्ध बोले....।
बुद्ध: तुमको इस वास्ताबिक को स्वीकारना होगा।हम सब इस संसारके मानवको एक दिन मरना होगा।और तुम्हारा बेटा भी एक मानव है।तुम्हार पुत्र मर जायेगा तो तुम स्वीकार नहीं करोगे तो कैसे इस संसारमें जिओगे।कोई बात को तुम स्वीकार नहीं करोगे तो,तब सम तुम निश्चित रूप से दुख भोग करोगे।इस लिए दुख में सुख है।जब तक तुम दुख को स्वीकार नहीं करोगे और दुख को स्वीकार करके नही भूलोगे तब तक आपके जीवन में सुख नही आयेगा।
बुद्ध ये सब बात कह रहे थे तो वो व्यक्ति ध्यान लगाके सुन रहाथा।और बुद्ध फिर ये व्यक्ति कुछ बात सिख गया सोच कर प्रसन्न हो गए।
और बुद्ध बोले....।
बुद्ध: सुनो तुम आजा से वास्ताबिकता को स्वीकार करो तुम जब वास्ताबिकता स्वीकार करोगे तब तुम्हे सुख मिलेगा। क्यु की वास्ताबिक को कोई नही रोक सकता,इस लिए जो होना था वो हो गया कह कर स्वीकार करो तभी तुमको सुख मिलेगा।
बुद्ध ने ये सब बात उस व्यक्ति को बता रहे थे ।तो वो व्यक्ति ध्यान लगाके सुना और बुद्ध को प्रणाम किया गुरु आप धन्य हो।तब वो व्यक्ति अपना घर चला गया।
समाप्त!
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