(बचपन का खुब शुरत पलके शायरी )
👏नमस्कार दोस्तो-अक्सर बचपन को याद करके हमारी👏 आखे नम हो जाते है |और बचपन हमारे जीबन का सबसे 👦खुबसुरत,और मासुम हिस्सा होता है|👦
तो दोस्तो हम चाह्कर फिर अब बचपन का ओ खुसी और ओ दिन नही पा सकते है|लेकिन हम अपना बचपन याद कर सकते है |
तो आइया दोस्तो आज फिरसे बचपन के यादो मे खो जाते है |जिनको पढ़ते हुए आपको अपने बचपन याद आ जाएंगे|
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे.
Bachpan Ke Din Bhi Kitne Achhe Hote The
Tab Dil Nahi Sirf Khilauna Tuta Karte The
Ab To Yak Aashu Bhi Bardash Nahi Hota
Aur Bachpan Me Ji Bharkar Roya Karte The.
रोने की वजह भी न थी
न हंसने का बहाना था
क्यो हो गए हम इतने बडे
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था
Rone Ki Wajah Bhi Na Thi
Na Hashane Ka Bahana Tha
Key Ho Kiu Ho Gaya Ham Itnne Bade
Isse Achha To Wo Bachpan Ka Jamana Tha.
👫बचपन के खुशियों वाला खेल कोई फिर से खिला दे,🤸
💸मेरी दौलत-शोहरत ले ले और मुझे बच्चा बना दे.👫
Bachpan Ke Khusiyo Wala Khel Koi Fie Se Khila De,
Meri Daulat -Soharat Le Le Aur Mujhe Bachha Bana De.